हरिद्वार के बहादराबाद ब्लॉक का खंड शिक्षा अधिकारी 20,000 रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार साथ में मित्र शिक्षक भी गिरफ्तार

Dec 19, 2025 - 16:30
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हरिद्वार के बहादराबाद ब्लॉक का खंड शिक्षा अधिकारी  20,000 रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार साथ में मित्र शिक्षक भी गिरफ्तार

अशोक गिरी हरिद्वार

हरिद्वार। रिश्वत कांड में फंसे खंड शिक्षा अधिकारी का रौब इतना था कि अपने मित्र शिक्षक को भी बिना ड्यूटी पर गए ही तनख्वाह दिलवाता था। शिक्षक के माध्यम से वो सभी लेनदेन और शिकायत के प्रकरणों को सुलझाने के लिए सांठगांठ कराता था। यह शिक्षक भी खंड शिक्षा अधिकारी के साथ ही गिरफ्तार किया गया हैं। दोनों की संपत्ति की जांच होगी और दूसरे शिक्षक के रिकार्ड के अनुसार विभागीय कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा।
हरिद्वार के बहादराबाद ब्लॉक का खंड शिक्षा अधिकारी बृजपाल सिंह राठौर 20,000 रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार किया है। विजिलेंस टीम गिरफ्तार कर देहरादून लेकर गई है। इसी राठौर के साथ में रिश्वत लेने का सहभागी बीआरपी शिक्षक मुकेश कुमार प्रभारी प्रधानाध्यापक मंगोलपुरा श्यामपुर भी पकड़ा गया है। मुकेश कुमार कभी भी अपनी ड्यूटी पर नहीं गया। बच्चों को इसकी शिक्षा और नियुक्ति का लाभ नहीं मिल रहा था। रिश्वत ले लेकर खंड शिक्षा अधिकारी ने अपने कार्यालय का सौंदर्यीकरण कराया हुआ था, बताते है कि लाखों की लागत से सजाया हुआ था। सभी कृपा रिश्वत की थी। इसके कार्यालय और ठाठबांट की चर्चा पूरे विभाग के साथ अन्य विभागों में भी थी।
बहादराबाद के खंड शिक्षा अधिकारी बृजपाल राठौर रिश्वत लेने में नंबर वन पर चल रहा था। अधीनस्थ शिक्षक, स्कूलों के प्रधानाध्यापक उसकी अति से परेशान थे। उसने अपनी कार के शीशों पर आगे पीछे पुलिस का लोगों लगाया हुआ था। राठौर सिफारिश तो कतई नहीं मानता था, बल्कि रिश्वत लेकर ही काम करने के मशहूर था। जिले में किया पूरे प्रदेश में उसका बोलबाला चल रहा था। लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि रिश्वत लेने को बख्शा नहीं जाए।
रिश्वत लेने का इतना भूत सवार था कि उसने पुलिस लाइन में बने पुलिस मॉडर्न स्कूल में हुए अतिरिक्त निर्माण कार्य की स्वीकृति के बदले में रिश्वत की मांग कर डाली। ये भी नहीं देखा कि कम से कम पुलिस विभाग को तो बख्श दें, लेकिन वह क्यों बख्शता पत्नी पुलिस क्षेत्राधिाकरी यानि सीओ है।
पुलिस लाइन के स्कूल में निर्माण मानकों के अनुसार किए जाने पर भी वह नहीं मान रहा था। हारकर प्रधानाचार्य को शिकायत विजिलेंस से करनी पड़ी।

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