उत्तराखंड में सच्चाई की कीमत: पत्रकार राजीव प्रताप की रहस्यमयी मौत ने छोड़े अनसुलझे सवाल
उत्तराखंड में सच्चाई की कीमत: पत्रकार राजीव प्रताप की रहस्यमयी मौत ने छोड़े अनसुलझे सवाल
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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार राजीव प्रताप की रहस्यमयी मौत ने कई सवाल उठाए हैं। आखिरकार, 10 दिन की तलाश के बाद उनका शव उत्तरकाशी की झील से बरामद हुआ है।
मौत का रहस्य: क्या है सच?
उत्तरखंड की शांत और सुंदर पहाड़ियों ने इस बार एक ऐसा हादसा देखा जो न केवल पत्रकारिता की दुनिया को हिलाकर रख देगा, बल्कि समाज में भी गहरे सवाल पैदा करेगा। वरिष्ठ पत्रकार राजीव प्रताप का शव 10 दिन बाद 18 सितंबर से लापता रहने के बाद जोशियाड़ा बैराज की झील से बरामद हुआ। यह घटना हर किसी को सदमे में डाल रही है, विशेषकर उनके सहकर्मियों और फॉलोवर्स को।
राजीव प्रताप का करियर
राजीव प्रताप एक ईमानदार और साहसी पत्रकार के रूप में जाने जाते थे। उन्होंने हमेशा सच्चाई को उजागर करने का प्रयास किया। उनकी मेहनत और समर्पण ने उन्हें उनके पेशे में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाया। उनकी रिपोर्ट ने कई बार समाज में व्यापक बदलाव लाने में मदद की।
अचानक लापता होना
18 सितंबर को जब राजीव प्रताप अचानक लापता हुए, तो उनके परिवार और दोस्तों ने तुरंत उनकी खोज में जुट गए। 10 दिन की कठोर खोजबीन के बाद उनका शव मिला। इस समय का हर क्षण उन लोगों के लिए असहनीय था जो उनके करीब थे। उनकी मौत ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या यह एक साधारण हादसा है या फिर इसके पीछे कोई बड़ी साजिश है।
जांच पर उठे सवाल
राजीव की रहस्यमय मौत के बाद अब जांच करने वाले अधिकारियों के सामने बहुत से सवाल खड़े हो गए हैं। अधिकारियों ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच को उच्च प्राथमिकता दी है। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में यह भी बातें उठ रहीं हैं कि क्या उनकी रिपोर्टिंग के कारण उन्हें निशाना बनाया गया था।
समाज में बढ़ती चिंता
इस घटना ने न केवल पत्रकारों के परिवारों बल्कि समाज को भी चिंतित कर दिया है। क्या आज पत्रकारिता एक खतरनाक पेशा बन गया है? क्या पत्रकारों को अपनी जान की सुरक्षा के लिए अब भी संघर्ष करना होगा? ऐसे सवाल अब गूंज रहे हैं जो आज की पत्रकारिता के भविष्य को और अधिक भयावह बनाते हैं।
हमारा अनुभव
हमने जब इस घटना के चलते कुछ पत्रकारों से बात की, तो उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि ऐसे मामलों में कई बार कुछ या कोई भी दिखाई दे नहीं रहा होता। कई पत्रकारों ने अपने अनुभव साझा किए हैं जिनमें उन्हें खतरे का सामना करना पड़ा। ऐसे माहौल में सच बोलना और भी मुश्किल हो गया है।
निष्कर्ष
राजीव प्रताप की रहस्यमयी मौत एक लम्हा है जब हमें अपनी जिम्मेदारी समझने की आवश्यकता है। पत्रकारिता केवल एक पेशा नहीं है, यह समाज की आवाज है। यदि इसकी सुरक्षा नहीं की गई, तो सच भी हमारी आंखों के सामने से गायब हो जाएगा।
हमारा यह कर्तव्य है कि हम इस मामले की गंभीरता को समझें और हर संभव प्रयास करें ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
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Team Discovery Of India - संगीता शर्मा
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