क्वारब की पहाड़ी पर 'बर्म तकनीक' से मलबा गिरने की समस्या होगी हल

क्वारब की पहाड़ी पर 'बर्म तकनीक' से मलबा गिरने से निजात
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कम शब्दों में कहें तो, उत्तराखंड के अल्मोड़ा स्थित राष्ट्रीय राजमार्ग-109 पर क्वारब क्षेत्र की पहाड़ी अब एक नई तकनीक 'बर्म तकनीक' के माध्यम से मलबा गिरने से राहत पाने जा रही है।
मलबा गिरने का समस्या और इसका समाधान
अल्मोड़ा की पहाड़ी, जो बार-बार मलबा गिरने की घटनाओं के कारण चर्चित रहती है, अब बेहतर प्रबंधन की ओर बढ़ रही है। राष्ट्रीय राजमार्ग खंड रानीखेत के अधिशासी अभियंता अशोक कुमार ने बताया कि यह नई तकनीक पारंपरिक उपायों के मुकाबले अधिक प्रभावी है।
बर्म तकनीक क्या है?
बर्म तकनीक के अंतर्गत पहाड़ी पर सीढ़ीनुमा मेड़ें बनाई जाएँगी, जिन्हें खेतों की मेड़ों की तरह संरचित किया जाएगा। ये मेड़ें मिट्टी के ढलान को नियंत्रित करने में मदद करेंगी और मलबा गिरने की घटनाओं को न्यूनतम करेंगी।
टिकाऊ विकास की दिशा में कदम
इस पहल से न केवल सड़क की सुरक्षा में सुधार होगा, बल्कि आस-पास के क्षेत्रों के लिए भी यह बड़ा लाभकारी साबित होगा। विकास की दृष्टि से, यह तकनीकी बदलाव उन क्षेत्रों के लिए एक स्थायी समाधान पेश करता है, जो प्राकृतिक आपदाओं के प्रति संवेदनशील हैं।
स्थानीय समुदाय की प्रतिक्रिया
स्थानीय नागरिकों ने इस नई तकनीक की सराहना की है और आशा व्यक्त की है कि यह समस्या का स्थायी समाधान प्रदान करेगी। सुरक्षा और सुविधा के दृष्टिकोण से, यह तकनीकी पहल राज्य के पर्यटकों और निवासियों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी।
निष्कर्ष
इस नई 'बर्म तकनीक' को लागू करने से न केवल मलबे के गिरने की घटनाओं में कमी आएगी, बल्कि यह क्षेत्र के विकास में भी सहायक होगी। यह उत्तराखंड के अन्य पहाड़ी क्षेत्रों में भी एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकती है, जो प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हैं।
फिर से कहें, 'बर्म तकनीक' क्वारब की पहाड़ी पर एक नई उम्मीद लेकर आ रही है। इसके सफल कार्यान्वयन से स्थानीय परितंत्र और सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
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सादर, Team Discovery Of India, राधिका शर्मा
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